हमारे समाज में कई बार यह धारणा बनी रहती है कि जन्म से ही कुछ लोग विशेषाधिकार लेकर आते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि जन्म से हर व्यक्ति शून्य होता है—किसी के पास न तो ज्ञान होता है, न ही अनुभव, और न ही कोई विशेष योग्यता। यह हमारे कर्म और मेहनत ही हैं जो हमें योग्य बनाते हैं। विरासत में हमें धन, पद या गद्दी मिल सकती है, लेकिन बुद्धि और क्षमता हमें अपने कर्मों से ही प्राप्त होती है।
जन्म नहीं, कर्म महत्वपूर्ण है
इतिहास गवाह है कि जो लोग अपनी मेहनत, लगन और संघर्ष से आगे बढ़ते हैं, वही सच्चे लीडर और प्रेरणास्रोत बनते हैं। रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों में भी यह संदेश मिलता है कि व्यक्ति का कर्म ही उसे महान बनाता है, न कि उसका जन्म।
संघर्ष से निखरती प्रतिभा
अक्सर हम देखते हैं कि जिन लोगों ने अपने जीवन में कठिन संघर्ष किया, वही असली ऊँचाइयों तक पहुँचे। अब्दुल कलाम, अंबेडकर, स्वामी विवेकानंद जैसे महान व्यक्तित्वों ने अपनी कड़ी मेहनत और ज्ञान से दुनिया को एक नई दिशा दी।
बुद्धि अर्जित करनी पड़ती है
धन-दौलत और पदवी विरासत में मिल सकती है, लेकिन बुद्धि और योग्यता अर्जित करनी पड़ती है। अगर किसी राजा के बेटे को गद्दी मिल भी जाए, लेकिन उसमें नेतृत्व की योग्यता न हो, तो वह ज्यादा समय तक राज नहीं कर सकता। वहीं, एक साधारण व्यक्ति भी अपने ज्ञान और कर्मों से महान शासक बन सकता है।
निष्कर्ष
अगर आप अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं, तो अपनी जन्मगत परिस्थितियों की चिंता न करें। अपने कर्मों को मजबूत करें, सीखने की भूख बनाए रखें और मेहनत से अपनी योग्यताओं को निखारें। याद रखें—सच्ची बुद्धि और सफलता मेहनत से ही मिलती है, विरासत से नहीं!
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